गुरुवार को मुंबई पुलिस कमिश्नर (क्राइम ब्रांच) परमबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर TRP रेटिंग में फर्जीवाड़ा होने का दावा किया गया। उन्होंने चैनल्स द्वारा TRP खरीदने की बात कही। उन्होंने इस फर्जीवाड़े में 2 छोटे चैनल और रिपब्लिक टीवी के शामिल होने की बात कही। हालाँकि रिपब्लिक टीवी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया है और मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करने की बात कही।
मुंबई पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उन्होंने दो मराठी चैनल के मालिक समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है और उन्होंने TRP में फर्जीवाड़े की बात कबूली है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी और प्रमोटर से भी पूंछतांछ की जाएगी। रिपब्लिक टीवी ने Fake TRP खरीदने की बात से इंकार किया है और साथ ही बताया कि इस मामले में दर्ज की गयी FIR में रिपब्लिक टीवी का नाम नहीं है बल्कि India Today चैनल का नाम है।
इस पूरे मामले को समझने के लिए आपको TRP Rating के बारे में जानना जरूरी है। आपको समझना होगा कि TRP को कैसे Calculate किया जाता है? क्या इसे ख़रीदा जा सकता है? आइये जानते हैं –
टीआरपी का फुल फार्म टेलीविजन रेटिंग पॉइंट होता है। यह टीवी चैनल्स या टीवी प्रोग्राम्स की लोकप्रियता को मापने का पैमाना है। इसकी मदद से ये पता लगाया जाता है कि दर्शक क्या देख रहे हैं और कितना देख रहे हैं? जिस चैनल या प्रोग्राम को लोग ज्यादा देखते हैं उसकी टीआरपी ज्यादा होती है।
अब आपके मन में ये सवाल आएगा कि आखिर चैनल्स की टीआरपी जानकर क्या मिलेगा? इसका क्या उपयोग है?
TRP Rating का उपयोग विज्ञापन देने वाली कंपनियां करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सालाना विज्ञापन मार्केट 32 हजार करोङ रुपये का है। विज्ञापन देने वाली कंपनियां इसी TRP Rating के द्वारा ये तय करती हैं कि उन्हें कहाँ अपना विज्ञापन देना है और साथ ही इसके द्वारा विज्ञापन के रेट भी तय किये जाते हैं। जिस चैनल की TRP ज्यादा होती है उसे ज्यादा एड मिलते हैं और एड की दर(Rate) भी कम TRP Rating वाले चैनल्स से ज्यादा मिलती है।
भारत में टीआरपी बार्क (BARC) यानी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के द्वारा रेगुलेट की जाती है। यह इंटरटेनमेंट और न्यूज चैनल की अलग-अलग टीआरपी जारी करता है।
आपको बता दें कि टीआरपी मापने का पैमाना कोई सटीक पैमाना नहीं है यह अनुमानित होता है। पूरे देश में कौन क्या देख रहा है इसे मापना फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए TRP को Calculate करने के लिए वॉटर मार्क टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है। इसके लिए एक डिवाइस का उपयोग किया जाता है जिसे बार ओ मीटर (Bar O Meter) कहते हैं। इस डिवाइस को कुछ चुनिंदा घरों में गुप्त रूप से लगाया जाता है। इसके तहत ब्रॉडकास्टर्स के प्रोग्राम को रिलीज करने से पहले एक खास कोड उसमें मिक्स किया जाता है जो सिर्फ डिवाइस द्वारा डिटेक्ट किया जा सकता है। बार ओ मीटर टीवी से निकलने वाले ऑडियो से ये पता लगाता है कि कौन सा चैनल देखा जा रहा है। उसी के आधार पर डाटा को इकट्ठा करके TRP Rating जारी की जाती है।
TRP Rating में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला सामने आया है। इसमें कहा जा रहा है कि कुछ चैनल्स उन लोगों को, जिनके घर में बार ओ मीटर लगा है, पैसे देकर अपना चैनल देखने को कहते हैं जिससे उस चैनल का watching time बढ़ता है जिससे उसकी TRP बढ़ जाती है।
मुंबई में TRP की जिम्मेदारी हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। इसके कुछ पूर्व कर्मचारियों ने चैनल के साथ मिलकर इस फर्जीवाड़े का खेल खेला है। उन्होंने secret डाटा रिलीज करके चैनल्स को उन घरों का पता बताया जिनके घर में TRP मीटर लगे थे। चैनल वालों ने उन मकान मालिकों को पैसे दिए और उनका चैनल लगाने को कहा। इसके लिए उन्हें 500 रुपये प्रतिदिन तक दिए गए ।
उम्मीद है आपको समझ आया होगा कि ये TRP Rating Scam क्या है? और इसको कैसे अंजाम दिया गया।
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