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विकास दुबे एक कुख्यात अपराधी था जिसका एनकाउंटर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कर दिया गया है। विकास दुबे अपराध की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम था। उस पर नेताओं का संरक्षण था और पुलिस विभाग के भी कुछ अधिकारी उससे मिले हुए थे। यही कारण है कि वो इतने सालों तक अपराध करता रहा और पुलिस से बचता रहा।
3 जुलाई को उत्तर प्रदेश पुलिस जब उसे पकड़ने गयी तो मुखबिरों द्वारा पहले से सूचना पाकर विकास दुबे चौकन्ना हो गया और घर के सामने के रास्ते को बंद कर दिया। जब पुलिस वहां पहुंची तो रास्ता बंद होने के कारण रुक गई और उस पर अचानक से गोलियां चलने लगीं।
चूँकि वहां की बिजली भी काट दी गई थी इस कारण पुलिस वालों को कुछ समझ नहीं आया। इस हमले में 8 पुलिस वाले शहीद हो गए जिसमें एक DSP भी शामिल है।
इसके बाद विकास दुबे वहां से भाग निकला और जाकर 8 जुलाई को हरियाणा के फरीदाबाद पहुँच गया जहाँ वो एक होटल में रुकने जाता है लेकिन उसके पास वैद्य पहचान पत्र ना होने के कारण उसे वहां रुकने से मना कर दिया जाता है।
इसके बाद वो वहां से बाहर निकलता है और एक ऑटो रिक्शा में बैठ कर चला जाता है। ये सब CCTV कैमरे में रिकॉर्ड हो जाता है।
9 जुलाई को वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में जाता है जहाँ उसे वहां के गार्ड्स द्वारा पकड़ लिया जाता है और मध्य प्रदेश पुलिस के हवाले कर दिया जाता है। जब उसे पकड़ लिया जाता है तो वो जोर-जोर से चिल्लाता है “मैं हूँ विकास दुबे, कानपुर वाला”
10 जुलाई को उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंपा जाता है। जब उसे कानपुर ले जाया जा रहा होता है तब उसकी गाडी का एक्सीडेंट हो जाता है और गाडी पलट जाती है। विकास दुबे एक्सीडेंट में घायल एक पुलिस वाले की बन्दूक छीन लेता है और भागने की कोशिश करता है। पुलिस उसे सरेंडर करने को कहती है लेकिन वो पुलिस पर गोली चला देता है। पुलिस अपने बचाव में उस पर गोली चला देती है और उसका एनकाउंटर कर देती है।
अब में आपको विकास दुबे के बारे में वो बातें बताऊंगा जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे:-
> विकास दुबे का जन्म बिकरू गांव, चौबेपुर ब्लॉक, कानपुर देहात उत्तर प्रदेश में हुआ था। उसकी असली जन्म तिथि क्या है ये अभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन उसकी उम्र 50 के आसपास थी जब उसका एनकाउंटर हुआ।
> विकास दुबे ने अपना पहला अपराध 17 वर्ष की उम्र में किया था। दुबे के खिलाफ पहला मामला एक दलित युवक की हत्या का था, जो वर्ष 1990 में कानपुर देहात के शिवली पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। हत्या करने के बाद वह कुछ सालों के लिए गाँव से भाग गया था उसके परिवार वालों को भी 5 साल तक उसके बारे में कुछ पता नहीं चला कि वह कहाँ गया।
> विकास दुबे के खिलाफ पहला आपराधिक मामला वर्ष 1991 में दर्ज किया गया था, और 2020 तक उसके खिलाफ हत्या, जबरन वसूली और जमीन हथियाने के 60 से अधिक आपराधिक मामले थे। यूपी में दुबे के खिलाफ 62 आपराधिक मामले थे, जिनमें हत्या के पांच मामले और हत्या के प्रयास के आठ मामले शामिल हैं। पुलिस ने उसके खिलाफ यूपी गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे सख्त कानून लागू किए थे।
> विकास दुबे की पहली पत्नी की उसके घर में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी।
> वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त स्कूल के प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे (65) की हत्या की साजिश का आरोप दुबे पर लगाया गया था। आरोप पत्र में दुबे सहित चार लोगों के नाम थे। “2004 में एक स्थानीय अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी थी। उनमें से एक मृत है, और अन्य जमानत पर बाहर हैं, ” शिवली पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा।
> वर्ष 2001 में विकास दुबे ने बीजेपी के राज्य मंत्री संतोष शुक्ल की शिवली पुलिस थाने के अंदर घुसकर 10 पुलिस वालों के सामने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद विकास दुबे प्रदेश छोड़कर भाग गया और बाद में आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन वह बेल पर रिहा हो गया। इसके बाद वह अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गया और उसे राजनीतिक संरक्षण भी मिलने लगा।
> विकास दुबे के ऊपर 50000 रूपये का इनाम था लेकिन 8 पुलिस वालों की हत्या के बाद इनाम को बढाकर 2.5 लाख रूपये कर दिया गया था और बाद में इसे बढाकर 5 लाख रूपये किया गया था।
> विकास दुबे को विकास पंडित के नाम से भी जाना जाता था , ये नाम 1999 में आयी फिल्म अर्जुन पंडित के शीर्षक चरित्र के नाम पर रखा गया था। उसे वैकल्पिक रूप से इस नाम से जाना जाता था, या बस पंडित के रूप में जाना जाता था।
> वर्ष 2002 में,उसने कथित तौर पर अपने प्रतिद्वंद्वी और नगर पंचायत अधिवक्ता लल्लन बाजपेयी को जान से मारने का एक असफल प्रयास किया था। इसके बाद, दुबे को दिनेश दुबे नामक एक केबल ऑपरेटर की हत्या से जोड़ा गया, जिसे कथित रूप से 20,000 रुपये के विवाद में मार दिया गया था।
> वर्ष 2006 में दिए एक साक्षात्कार में, दुबे ने कहा था कि वह 10 साल से बिकरू गाँव का प्रधान था, जिसके बाद वो जिला पंचायत का सदस्य बना, जबकि उनके छोटे भाई को पड़ोसी गाँव भीती के ग्राम प्रधान के पद पर निर्विरोध चुन लिया गया। उसके भाई की पत्नी तब जिला पंचायत सदस्य थी, और उसका भाई बिकरू गाँव का प्रधान बन गया।
> विकास दुबे की दूसरी पत्नी ऋचा दुबे ने वर्ष 2015 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। सूत्रों के मुताबिक, सपा की सदस्यता हासिल कराने के लिए समाजवादी पार्टी की कानपुर ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष महेंद्र सिंह यादव, तत्कालीन विधायक मुनींद्र शुक्ला और मंत्री अरुणा कोरी शामिल थे।
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